दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय ,,देश के दो सपूत,
*देश के दो सपूत*
भारत में सपूत दो जन्मे,
जिन की तारीख एक है।
एक अठारह सौ उनहत्तर,
उन्नीस सौ चार के एक हैं।।
भारत माता धन्य हो गयीं,
ऐसे पुत्रों को पाकर।
एक थे बापू महात्मा गांधी,
दूजे हैं लाल बहादुर।।
ज्यादातर लोगों को तो,
लाल बहादुर ध्यान नहीं।
बहुत बड़े बैरिस्टर थे वे,
फांसी की धारा बदले ध्यान नहीं।।
मोहनदास करमचंद जी को,
बापू से जग जान रहा।
राष्ट्र पिता से सम्बोधित गांधी,
राष्ट्रपिता बस एक रहा।।
असहयोग आंदोलन में दोनों ,
कूद पड़े थे क्रांती वीर।
दांडी मार्च और भारत छोड़ो,
आंदोलन में आगे दोनों वीर।।
भारत माँ को आजाद कराने,
आंदोलन में कूद गये।
सत्य,अंहिसा का हथियार ले,
बापू अनशन में बैठ गये।।
कम कपड़े में मेहनत ज्यादा,
दिन और रात लगे रहते।
मातृ भूमि की सेवा करने,
पैदल ही बापू चलते रहते।।
अपना कपड़ा खुद ही बुनते,
चरखा रोज चलाते थे।
खादी पहने खादी ओढ़े,
शांति दूत कहलाते थे।।
सभी धर्म को मानने वाले,
सत्याग्रह संकल्प लिया।
असहयोग आंदोलन करके,
भारत को एक नया मोड़ दिया।।
भारत के प्रधानमंत्री थे,
लाल बहादुर शास्त्री जी।*भारत रत्न* मिला सपूत को,
सीधे,सरल थे शास्त्री जी।।
नेहरू जी के साथ में शास्त्री जी,
भारत के ग्रह सचिव रहे।
जनवरी उन्नीस सौ छियासठ में ,
ताशकंद में प्राण तजे।।
पहले दिया शास्त्री जी ने,
मरो नहीं मारो का नारा।
बाद में देश की खातिर कर दिया,
जय जवान,जय किसान का नारा।।
दोनों लाल को नमन हमारा,
जय हो माता भारती।
अमर रहें तेरे सपूत माँ,
चन्दा उतारे है आरती।।
2--10--22
आँचल सोनी 'हिया'
10-Oct-2022 08:57 PM
Azhad umda
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Oct-2022 06:47 PM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ
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Gunjan Kamal
05-Oct-2022 06:47 PM
बहुत ही सुन्दर
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